Priyanka06

Add To collaction

लेखनी प्रतियोगिता -27-May-2022 ऋग्वेद में है इसके बोल

रचयिता-प्रियंका भूतड़ा

शीर्षक-ऋग्वेद में है इसके बोल

किसान उगा रहा है फसल,
फसल में उगा रहा है अन्न।

अन्न का मोल है अनमोल,
ऋग्वेद में है इसके बोल।

 होता है जमीन से अन्न,
चार अंगुल भूमि का।

ऋग्वेद में है इसके बोल।

गेहूं के बाल के नीचे का,
होता है पशुओं का हिस्सा।

ऋग्वेद में है इसके बोल।

पहली फसल का भोग लगाते,
अग्नि देवता वो कहलाते।

ऋग्वेद में है इसके बोल।

बाल से गेहूं निकला,
उसका  मुट्ठी भर हिस्सा।
पक्षियों का होता दाना।।

ऋग्वेद में है इसके बोल।

गेहूं का हमने बनाया आटा,
चीटीओ का होता मुट्ठी भर बांटा।

ऋग्वेद में है इसके बोल।

थोड़ा सा गूथा आता,
मछलियों का होता खाना।

ऋग्वेद में है इसके बोल।

फिर बनी उस आटे की रोटी,
पहली रोटी गौ माता की होती।

ऋग्वेद में है इसके बोल।

पहली थाली बड़ों की होती,
बड़ों में बुजुर्ग की होती रोटी।

ऋग्वेद में है इसके बोल।

फिर होती हमारी थाली,
हमारे हर सदस्य में बांटी जाती।

ऋग्वेद में है इसके बोल।

आखरी रोटी होती है किसकी,
वो होती है कुत्ते की रोटी।

ऋग्वेद में है इसके बोल।

यही होता है वसुंधा का मान,
यही कहलाती है संस्कृति।
संस्कृति से बनती सनातन संस्कृति।।

अन्न का मोल है अनमोल,
ऋग्वेद में है इसके बोल।






   28
14 Comments

Seema Priyadarshini sahay

29-May-2022 11:29 PM

बेहतरीन

Reply

Joseph Davis

28-May-2022 07:38 PM

Nyc one

Reply

Shnaya

28-May-2022 12:43 PM

बेहतरीन अभिव्यक्ति

Reply